Wednesday, September 23, 2009

जन्म ये तुझको समर्पित

जन्म ये तुझको समर्पित, कर्म हर तुझको समर्पित
हर घड़ी तेरी ही सेवा, मर्म ये तुझको समर्पित

हो घड़ी कितनी भी विषम, न रुकें यूँ ही बढ़ें हम
हर कदम तेरी तरफ हो, हर कदम तुझको समर्पित

माँ भारती की छाँव में, हरियाली ख़ुशी की छाई है
माँ भारती हों कष्ट में तो, हर ख़ुशी कर दूं समर्पित

राष्ट्र जो खुशहाल हो तो, विश्व बंधुत्व ख्याल हो
दुश्मन सर उठाये तो, विजय को जन जन समर्पित

- Priyank Singh Thakur

Tuesday, July 28, 2009

तू जिंदा है

जश्न कर ले यार तू जिंदा है
फख्र कर ले यार तू जिंदा है

जिस जहाँ में अधिकतर मुर्दा हैं रहते
सर उठा के चल रहा, तू जिंदा है

हार के टूटे हुए इन हौसलों में
सागर में तिनका सही, तू जिंदा है

लुट चुके कुछ इश्क में, मर भी गए कुछ
आज भी कुछ मनचला, तू जिंदा है

जीत ले संसार, तू जिंदा है
हर घड़ी त्यौहार, तू जिंदा है

प्रियंक

Wednesday, June 10, 2009

शुक्र है मेरी हसरत किसी को तो है
उस नज़र में इनायत अभी तक तो है
तेरी राह में सर को झुकाए हूँ मैं
मोहब्बत मैं इबादत अभी तक तो है


Priyank

Monday, June 8, 2009

अंजाम मुझे मर्ज़ का मालुम नहीं है
बस इतना है पता, कि ये बे-हिसाब है
सारे मेरे अपने ना-उम्मीद हो गए
सुना था, कि प्यार होता ला-जवाब है


Priyank

Thursday, May 28, 2009

www.paakiza.blogspot.com main

लिखने का शौक सबको सिखा देता है शायरी
पर वही है असल शायर, जिसे रोने का शौक हो
- Priyank

दोस्तों, इस भाव के साथ ये ब्लॉग प्रारंभ कर रहा हूँ कि
नए - नए गालिब और दुष्यंत कुमार हमे मिलें
और नयी नयी पंक्तियों के साथ हमारे जीवन मैं उमंग भरें

ये ब्लॉग आप सभी का है और सबकी रचनाओं को इसमें स्थान मिलेगा..
बस शर्त ये है कि रचना मौलिक होनी चाहिए..
कोई भी पुरानी या उधार ली गयी शायरी / कविता यहाँ से हटा दी जाएगी

उठा के कलम लिख डालें अपने जज्बातों को
आपके अपने
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आपका अपना
प्रियंक ठाकुर

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