Sunday, December 18, 2011

अब संसार हमारा है..



प्रारब्ध से जागृत समाज है,
उन्नत देश हमारा है,
पराधीनता बहुत हुई,
अब संसार हमारा है..

लाखों- करोड़ों बलिदानों का,
गौरव इतिहास हमारा है,
अमर शहीदों  का प्रताप है,
अब संसार हमारा है,

संकट अब भी बहुत खड़े हैं,
दुश्मन सिंहासन पे पड़े हैं,
सुधर जाओ या सुधार देंगे,
यह हुंकार हमारा है..
अब संसार हमारा है..
                                                : PST

Monday, October 24, 2011

दीपावली

नए सुरों पे नए बोल
नयी सुबह, नयी वजह..
सब कुछ नया सा लगता है,


नए रास्ते पे नया सफ़र,
नए साथ का उतावलापन,
अब सब अपना सा लगता है..


एक भाव वीरता,
एक लक्ष्य विजय,
जागृत भारतीयों की टोली
यह दृश्य सपना सा लगता है..

राम राज्य दिखने लगा है,
अयोध्या सजने लगा है,
अखंड भारत का सत्य

अभी जन्मा सा लगता है..

. .. Priyank

Monday, October 10, 2011

सनम की याद में जब भी कुछ गुनगुनाऊंगा,
जगजीत सिंह आप बहुत याद आओगे..
आंसू भरी निगाह से जब भी मुस्कुराऊंगा,
नगमो को याद करके आप भी तो मुस्कुराओगे..
जगजीत सिंह आप बहुत याद आओगे..
कुछ दिन की बेरुखी चलती है अपनों से,
पर ये क्या बात हुई की वापस नहीं आओगे?
जगजीत सिंह आप बहुत याद आओगे..

                                                                                                    ... PST

Wednesday, March 30, 2011

Sachin ...

त्वमेव बेट्समेन च बोलर त्वमेव,
त्वमेव फील्डर च कैचर त्वमेव,
त्वमेव आशा च विनर त्वमेव,
वर्ल्ड कप ला दो मम देव देव..

:प्रियंक

Saturday, March 19, 2011

होली


सुबह पर लालिमा का
शाम पर गोधुलि का 
जीवन में खुशी का
बचपन में मस्ती का
जवानी में प्यार और
प्यार में विश्वास का
रंग भर दो
इस होली में आज यह
चमत्कार कर दो
इतना तो यार कलाकार कर दो..

होली की शुभकामनाएँ :) - प्रियंक

Friday, March 11, 2011

जापान ..


चुप हो गयी वो, कुछ बोलने से पहले
आँखें हँसना चाहती थीं रोने से पहले
सपने सजाये थे इन्ही बंद पलकों पर
वो सब खो गए रंग भरने से पहले

ये क्या हो रहा है अगर हो रहा है
ऐसा होना ना था, मगर हो रहा है,
हम आपके ही बच्चे हैं क्यों भूल गए
बचा लो प्रभु हमको खोने से पहले

माना की जाना है एक दिन सभी को
मगर जाने का ये कोई तरीका नहीं
एक डोर से बाँधा है जग में सभी को
उसको ऐसे तोड़ देना सलीका नहीं

संभालो उन्हें जिनको तोड़ा है तुमने
संभालो ये विश्वास उठने से पहले
सुधारो ये दुनिया तुम्हारी ही तो है
जीवन की ये नब्ज़ थमने से पहले

.. आपका प्रियंक

Sunday, February 13, 2011

मैं आग बांटने आया हूँ
जिन्हें जलना हो वो साथ चलें
ये किसी बागीचे की सैर नहीं
मेरे रास्ते अंगार जलें

मैं उस बागीचे का माली हूँ
जिसका हर पौधा मुरझाया है
उस बचपन का मैं साथी हूँ
जहाँ सिर्फ सन्नाटा छाया है
मैं गीत सुनाने नहीं आया,
दहाड़ लगाने आया हूँ
जंजीर तोड़ के आया हूँ
जो दौड़ सकें मेरे साथ चलें
मेरे रास्ते अंगार जलें..

अभी नींद से नहीं जागे
तो एक दिन आँखें फूट जाएँगी
अभी देश नहीं संभाल सके
तो आगे संताने क्या पाएंगी
मैं ख्वाब बांटने नहीं आया
तलवार बांटने आया हूँ
जिन्हें लड़ना हो वो साथ चलें
मेरे रास्ते अंगार जलें..

हम नहीं जले तो एक दिन ये देश जल उठेगा,
इन अंगारों के पथ पर हर एक चल उठेगा..
.. प्रियंक