Friday, March 11, 2011

जापान ..


चुप हो गयी वो, कुछ बोलने से पहले
आँखें हँसना चाहती थीं रोने से पहले
सपने सजाये थे इन्ही बंद पलकों पर
वो सब खो गए रंग भरने से पहले

ये क्या हो रहा है अगर हो रहा है
ऐसा होना ना था, मगर हो रहा है,
हम आपके ही बच्चे हैं क्यों भूल गए
बचा लो प्रभु हमको खोने से पहले

माना की जाना है एक दिन सभी को
मगर जाने का ये कोई तरीका नहीं
एक डोर से बाँधा है जग में सभी को
उसको ऐसे तोड़ देना सलीका नहीं

संभालो उन्हें जिनको तोड़ा है तुमने
संभालो ये विश्वास उठने से पहले
सुधारो ये दुनिया तुम्हारी ही तो है
जीवन की ये नब्ज़ थमने से पहले

.. आपका प्रियंक