Monday, November 29, 2010

सुप्रभात भारत:

सूर्य तेज दे, चन्द्र शांति, जल जैसे वरदान;
भारत में बसे सुख-शांति और रहे धन-धान.. सुप्रभात भारत

मंगल प्रभात, तेज प्रताप, है कण-कण जाग्रत..
धन्य हे जन्म भूमि, सुप्रभात भारत.. :)

सारा जग सदियों से जिसके गुण गावत, सुप्रभात भारत..

भगवान जहाँ रहते, है सूर्य जहाँ जागत, सुप्रभात भारत..

पूजते हैं गौ माता, जिनमे सारे देव विराजत.. सुप्रभात भारत..

पधारे सुदामा हों,, तो भी कृष्ण करें स्वागत... सुप्रभात भारत..

करोड़ों विशिष्ठिताओं में, ये भी एक बात है; 
कि नदी और पहाड़ भी, पूजे यहाँ जावत.. सुप्रभात भारत..

सदियों से पुण्य भूमि, युग-युग से दिव्य शाश्वत;
है माँ के जैसी ममता, देवी स्वरुप जाग्रत.. सुप्रभात भारत..

समूचे विश्व को सिखाई जिसने शांति पूजा,
उसी में ही रची है वीरों ने महाभारत.. सुप्रभात भारत

पूरे विश्व को जिसने गिनती सिखाई,
विश्व-विजयी हो के भी विनती सिखाई,
मेरे गायकों की राग से दीपक जल जावत, सुप्रभात भारत..

हिमालय हैं उत्तर के पहले प्रभारी,
सागर भी करते हैं रक्षा हमारी,
मेरे देश में है ईश्वरीय ताकत, सुप्रभात भारत..

देश के युवाओं को नींद से जगाया,
भारत क्या है पूरे विश्व को बताया,
उठो- जागो- आगे बढ़ो नारा लगाया,
ऐसे विवेकानंद को कौन नहीं जानत, सुप्रभात भारत..

: Compilation of my Good Morning Tweets on Twitter :) more to follow

( लूटने वाले (america) का हो जहाँ स्वागत, सुप्रभात भारत..
 
Short Term Memory वोटर्स की जहाँ आदत, सुप्रभात भारत..


CWG की 200 गुना हो जाये लागत, सुप्रभात भारत )

Thursday, November 18, 2010

चल यार सोते हैं..

चल यार सोते हैं.. स्वप्न संजोते हैं,
जो बीत गया, उसपे आज क्यों रोते हैं :)
समय की पतवार है, आयु को खेते हैं,
जो बीत गया, उसपे आज क्यों रोते हैं..

दुनिया एक बनिया है, व्यापार करती है,
जब तक कुछ लेना हो, व्यवहार करती है,
ये सुख तो जीवन में अनमोल होते हैं,
स्वजन समझ सबको, हर मोल देते हैं,
जो बीत गया, उसपे आज क्यों रोते हैं..

पुरानी बातों को हर हाल में भूलो,
जो होने वाला है, क्या बस में है बोलो?
पुराने बस्ते को क्यों लाद लेते हैं,
कल की चिंताओं को, क्यों आज लेते हैं?
जो बीत गया, उसपे आज क्यों रोते हैं..

जीवन के सब मोती मालाओं में रोपो,
हर सच को स्वीकारो, अपनाओ हर हर को,
जो भगवान की लीला स्वीकार करते हैं,
रब भी उस व्यक्ति को स्वीकार करते हैं,
सब कुछ जब उसका है, क्यों आज रोते हैं?
चल यार सोते हैं :)
: प्रियंक

Friday, April 2, 2010

आदत

काँटों पे चलने कि आदत सी हो गयी है
डर नहीं लगता है, पर बोरियत सी हो गयी है..