लो फिर आ बैठा अपने गुनाहखाने में,
चाह छांव की नहीं तलब धूप की है,
एक साया ही सही कुछ तो हो वीराने में..
#PST 6/2/23
लिखने का शौक सबको सिखा देता है शायरी.. पर वही है असल शायर, जिसे रोने का शौक हो... दोस्तों, इस भाव के साथ ये ब्लॉग प्रारंभ कर रहा हूँ कि मेरे मान के भाव आप सब तक पहुँच सकें. मेरा प्रयास है कि मेरे जैसे अन्य शौकिया लेखक & कवि, अपनी रचनाओं को दुनिया के सम्मुख रखें.. उठा के कलम लिख डालें अपने जज्बातों को, मेरे जैसे :)